माँ [Mother] Page 2/13
जब तू छोटा था, तब 'माँ' की शैया गीली रखता था,
अब बड़ा हुआ तो 'माँ' की आँखें गीली रखता है
रे पुत्र ! तुझे 'माँ को गीलेपन में रखने की आदत हो गई है
बचपन के आठ साल तुझे अँगुली पकड़्कर जो 'माँ-बाप'
स्कूल ले जाते थे, उन 'माँ-बाप' को बुढापे के आठ साल
सहारा बनकर मन्दिर ले जाना, शायद थोड़ा-सा तेरा कर्ज
कम हो थोड़ा-सा तेरा फर्ज़ पूरा होगा
पिता जी पूछते हैं - बेटे! तूने आज क्या कमाया ?
पत्नी पूछ्ती है - मेरे लिए क्या बचाया ?
बच्चे पुछ्ते हैं - पापा जी ! हमारे लिए क्या लाया ?
और माँ पूछ्ती हैं - बेटे ! क्या तूने कुछ खाया ?
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