Grandfathering Pr.1-3 Cr By Age 50
Hindi TO English - Exercise No. H 7
(Ans. E 7)

दर्पण परमात्मा की दृष्टि है जो समस्त संसार को चारो कोणों से देखता है । यह अपना अधिकांश समय अकेला, सामने की दीवार पर दृष्टि गड़ाए बिताता है । दीवार की पुताई किसी भी रंग की रही हो अथवा उस पर धब्बे हो । वह दीवार को इतने लम्बे समय से ताकता रहा है कि जैसे यह उसके हृदय का एक अंग बन गई है । उसकी एकटकता (चिंतन) कभी-कभी टूट जाती है जब कोई उसके सामने अपना चेहरा देखने आ जाता है । जब अन्धेरा हो जाता है तब यह भी सो जाता है । इन्हीं दो अवसरो पर दर्पण की दृष्टि सामने की दीवार से हटती है ।







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