हिन्दी भाषी क्षेत्र के कार्यालयों को भारत सरकार की भाषायी नीति का पालन करते हुए हिन्दी में पत्र व्यवहार करने के साथ-साथ सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को भी प्राप्त करना होता है । आज हम अंग्रेजी में पत्राचार करते-करते उसमें इतने रम गये हैं कि हमे हिन्दी पत्र लेखन में अटपटाह्ट के साथ - साथ गलती होने का भी डर बना रहता है । यहां कार्यालयी साथियों को हिन्दी भाषा में पत्र लेखन करने में सह्योग करने का प्रयास किया गया है ।
यदि आप इसी प्रकार के संक्षिप्त पत्र लेखन के सहायतार्थ वाक्य (जो आपकी जानकारी में हो / विभिन्न कार्यालयों में अधिकत्तम प्रयुक्त किये जाते हों ) जिसे आप अन्य साथियों के कार्यालयी पत्र लेखन में सहयोग के लिए सांझा करना चाहते हैं तो कृपया maxnutils@gmail.com पर भेजे ।
कार्यालयी पत्र-लेखन की कला सामान्य पत्र-लेखन से भिन्न है, यहाँ पत्र लिखने वाला व्यक्तिगत रूप से पत्र नहीं लिखता है अपितु वह कार्यालय कि ओर से पत्र लिखता है । इन पत्रों में विषय वस्तु प्रधान होती है ।
सामान्य पत्रों की तरह कार्यालयी पत्रों में प्रणाम, नमस्कार, कुशलमंगल, व्यक्तिगत नैतिक राय / आक्षेप / कटाक्ष आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
पत्र लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखें :-कृपया ध्यान दें किसी भी पत्र का प्रारम्भिक और अंतिम वाक्य अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि दोनो वाक्य कार्यालय के पत्र लिखने के उद्देशय को दर्शाते हैं कि पत्र के माध्यम से आवेदन / निवेदन / आदेश / निर्देश / सूचित अथवा सुझाव दिया जा रहा है ।
हिन्दी में कार्यालयी पत्र लेखन के सहायतार्थ वाक्य :-