वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
“Oh! Lord (Ganesha), of huge body and curved elephant trunk, whose brilliance is equal to billions of suns, always remove all obstacles from my endeavors.”
Meaning - "May the Almighty God illuminate our intellect to lead us along the righteous path". The mantra is also a prayer to the "giver of light and life" - the sun (savitur).
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ||
ॐ नमोः नारायणाय. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय ||
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नमः।।
ॐ शं शनैश्चराय नम:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरशः अर्थ
त्र्यंबकम् = त्रि-नेत्रों वाला (कर्मकारक)
यजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देय
सुगंधिम = मीठी महक वाला, सुगंधित (कर्मकारक)
पुष्टिः = एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम् = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य, धन, सुख में) वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली
उर्वारुकम् = ककड़ी (कर्मकारक)
इव = जैसे, इस तरह
बन्धनात् = तना (लौकी का); ("तने से" पंचम विभक्ति - वास्तव में समाप्ति -द से अधिक लंबी है जो संधि के माध्यम से न/अनुस्वार में परिवर्तित होती है)
मृत्योः = मृत्यु से
मुक्षीय = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
मा = न
अमृतात् = अमरता, मोक्ष
Meaning -
Om, We Worship the Three-Eyed One (Lord Shiva),
Who is Fragrant (Spiritual Essence) and Who Nourishes all beings.
May He severe our Bondage of Samsara (Worldly Life), like a Cucumber (severed from the bondage of its Creeper), ...
and thus Liberate us from the Fear of Death, by making us realize that we are never separated from our Immortal Nature.
वक्रतुण्ड महाकाय
सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नम् कुरु मे देव
सर्व कार्येषु सर्वदा॥
Meaning - O' Lord with a twisted trunk and a mighty body, One whose brilliance is equivalent to the brightness of 10 million suns, my Lord, always make all my endeavors free of obstacles.
त्वमेव माता च पिता त्वमेव ।
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव ।
त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥
Meaning - You are my mother, father, brother and companion, You alone are knowledge and Prosperity. O great teacher, you mean everything to me.
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः ॥
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
इस श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं, “जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और अधर्म आगे बढ़ता है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर जन्म लेता हूँ सज्जनों और साधुओं की रक्षा के लिए, दुर्जनो और पापियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं हर युग में जन्म लेता हूँ”